Ashwagandha Farming Business: कैसे सफल हो इस बिज़नेस में जाने पूरी जानकारी

भारत में किसानों की इनकम बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मुनाफे का बिज़नेस बनाने के लिए अश्वगंधा की खेती एक वरदान साबित हो रही है। यह आयुर्वेद की राजदूत मानी जाने वाली जड़ी-बूटी न सिर्फ सेहत के लिए गोल्डन हर्ब है बल्कि किसानों के लिए भी ग्रीन गोल्ड बन गई है। महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों के हजारों किसान इसकी खेती से सालाना 5-10 लाख रुपये प्रति एकड़ तक कमा रहे हैं। पर कैसे आइए, समझते हैं कि अश्वगंधा की खेती का सही तरीका क्या है और क्यों यह छोटे किसानों को भी करोड़पति बना सकती है।


अश्वगंधा क्या है और क्यों है इतनी खास?

अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा) को भारतीय जिनसेंग भी कहा जाता है। इसके पौधे की जड़ें पत्तियां, और बीज आयुर्वेदिक दवाओं हर्बल सप्लीमेंट्स और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होते हैं। इसकी मुख्य विशेषताएं:

  • तनाव और नींद की समस्या में रामबाण इलाज।
  • इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में कोविड के बाद डिमांड बढ़ी।
  • कैंसर रोधी गुणों पर रिसर्च जारी है।
  • स्किन और बालों के उत्पादों में इसका तेल इस्तेमाल होता है।

वैश्विक बाजार में अश्वगंधा का बाजार 2023 तक 600 मिलियन डॉलर पहुंच चुका है, और 2030 तक 1.2 बिलियन डॉलर का होने का अनुमान है। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।


अश्वगंधा की खेती का सही समय और जलवायु

  • मौसम: यह शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में उगाई जाती है। अधिक बारिश या नमी जड़ों को सड़ा सकती है।
  • तापमान: 20°C से 35°C आदर्श है। पाला या ठंड इसके लिए नुकसानदायक।
  • बुवाई का समय:
    • रबी सीजन: सितंबर-अक्टूबर (उत्तर भारत)।
    • खरीफ सीजन: जुलाई-अगस्त (दक्षिण भारत)।

खेत की तैयारी: मिट्टी से लेकर बीज तक

मिट्टी का चुनाव

  • बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम (pH 7.5-8.0)।
  • जलभराव वाली जमीन से बचें।

खेत की जुताई

  • पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
  • 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएं।
  • प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद मिलाएं।

बीज का चुनाव और उपचार

  • किस्में: जवाहर अश्वगंधा-20, पोषिता, रक्तश्री (राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय)।
  • बीज दर: प्रति एकड़ 5-6 किलो बीज।
  • उपचार: बुवाई से पहले बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाज़िम प्रति किलो की दर से उपचारित करें।

बुवाई का तरीका और सिंचाई

बोने की विधि

  • कतार विधि: 30-45 cm की दूरी पर कतारें बनाएं। बीज 2-3 cm गहराई में बोएं।
  • छिड़काव विधि: छोटे खेतों के लिए उपयुक्त, पर निराई-गुड़ाई में मुश्किल।

सिंचाई प्रबंधन

  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद।
  • गर्मी में 10-15 दिन के अंतर पर, सर्दी में 20-25 दिन में।
  • ध्यान रखें: जड़ों के पकने के समय (जनवरी-फरवरी) सिंचाई बंद कर दें।

खाद और कीट नियंत्रण

खाद प्रबंधन

  • बेसल डोज: NPK 50:40:40 kg/acre (बुवाई से पहले)।
  • टॉप ड्रेसिंग: 20 kg नाइट्रोजन प्रति एकड़ (बुवाई के 30 दिन बाद)।

कीट और रोग नियंत्रण

  • मुख्य कीट: लीफ माइनर, एफिड्स।
    • नीम का तेल (5ml प्रति लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड 0.5ml/liter छिड़कें।
  • रोग: जड़ सड़न, पाउडरी मिल्ड्यू।
    • ट्राइकोडर्मा 5kg/acre मिट्टी में मिलाएं।

कटाई और प्रोसेसिंग सबसे महत्वपूर्ण चरण

कटाई का समय

  • बुवाई के 150-180 दिन बाद (जनवरी-मार्च)।
  • पत्तियां पीली पड़ने लगें तो समझें फसल तैयार है।

जड़ों की खुदाई

  • खुरपी या हल्की खुदाई से जड़ें निकालें।
  • धूप में 8-10 दिन सुखाएं (नमी 10% से कम रहे)।

उपज

  • सूखी जड़ें: 4-6 क्विंटल/एकड़।
  • बीज: 50-60 kg/एकड़।

मार्केटिंग और कमाई कैसे बेचें अश्वगंधा?

बाजार भाव (2024)

  • सूखी जड़ें: ₹300-500/kg (ऑर्गेनिक: ₹800-1200/kg)।
  • बीज: ₹400-600/kg।
  • पत्तियां: ₹50-80/kg।

बिक्री के चैनल

  • आयुष मंत्रालय के एम्पोरियम
  • एमाज़ॉन, इंडिया मार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म।
  • निर्यात: यूरोप, अमेरिका, मध्य पूर्व (निर्यातकों को सीधे बेचें)।

लागत और मुनाफा (प्रति एकड़)

आइटमलागत (₹)
जुताई और खाद15,000
बीज8,000
सिंचाई10,000
कटाई और प्रोसेसिंग20,000
कुल लागत53,000
आयकमाई (₹)
5 क्विंटल जड़ें (₹400/kg)2,00,000
50 kg बीज (₹500/kg)25,000
कुल आय2,25,000
शुद्ध मुनाफा1,72,000

सफल किसानों की कहानियां

राजस्थान के रामसिंह: 5 एकड़ से 75 लाख सालाना

राजस्थान के नागौर जिले के रामसिंह ने 2018 में अश्वगंधा की खेती शुरू की। आज वे 5 एकड़ में ऑर्गेनिक तरीके से उगाकर जड़ें ₹1000/kg पर निर्यातकों को बेचते हैं। उनका कहना है, “इसमें मेहनत कम, मुनाफा ज्यादा है।

महाराष्ट्र की सीमा पाटिल: महिला किसान बनीं करोड़पति

नासिक की सीमा पाटिल ने 2 एकड़ से शुरुआत की और अब 20 एकड़ में अश्वगंधा उगाती हैं। वे कहती हैं, गूगल पर रिसर्च करके मैंने यूरोपियन बायर्स से सीधा कॉन्टैक्ट किया।”

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सरकारी योजनाएं और सब्सिडी

  • आयुष मंत्रालय की मेडिसिनल प्लांट्स प्रमोशन स्कीम के तहत 50% सब्सिडी।
  • नाबार्ड ऋण पर 7% ब्याज सब्सिडी।
  • राज्य सरकारें बीज और ट्रेनिंग मुफ्त देती हैं।

चुनौतियां और समाधान

  • जड़ सड़न: जल निकासी का उचित प्रबंधन।
  • मार्केट प्राइस फ्लक्चुएशन: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करें।
  • नकली बीज: केवल प्रमाणित स्रोतों से खरीदें।

अश्वगंधा है भविष्य की फसल

कम पानी, कम लागत, और हाई प्रॉफिट के कारण अश्वगंधा छोटे और मझोले किसानों के लिए सबसे बेहतर विकल्प है। अगर आप भी खेती को मुनाफे का धंधा बनाना चाहते हैं, तो इस सीजन से ही अश्वगंधा की बुवाई शुरू कर दें!


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  • क्या अश्वगंधा की खेती बारिश में की जा सकती है?
    नहीं, ज्यादा बारिश से जड़ें सड़ जाती हैं।
  • कौन सी किस्म सबसे ज्यादा मुनाफा देती है?
    जवाहर अश्वगंधा-20 (उपज 6-8 क्विंटल/एकड़)।
  • ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन कैसे लें?
    APEDA या किसान साथी पोर्टल पर आवेदन करें।
  • क्या अश्वगंधा की इंटरक्रॉपिंग संभव है?
    हां, मूंग या चना के साथ उगा सकते हैं।

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